
तंज़ानिया सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” पर बैन लगा दिया है। वजह बताई गई है – “पोर्न कंटेंट की बाढ़”, मगर आलोचकों का कहना है – असली टेंशन पोर्न से नहीं, पॉलिटिक्स से है।
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सूचना मंत्री बोले – ये हमारी संस्कृति को ‘नंगा’ कर रहा है
सूचना मंत्री जेरी सिला ने एक स्थानीय टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, “X पर ऐसा कंटेंट है जो तंज़ानिया की संस्कृति, परंपरा और क़ानूनों के खिलाफ है।“
शायद मंत्री महोदय को इंटरनेट की वर्चुअल चप्पल की भनक लग चुकी थी, इसलिए बयान को पारंपरिक ‘संस्कृति रक्षा’ की चादर से ढक दिया गया।
लोग बोले – पोर्न बहाना है, X को चुप कराना है
तंज़ानिया के नागरिकों का कहना है कि बैन की शुरुआत तभी हुई जब राजनीतिक तनाव बढ़ा और पुलिस विभाग का ऑफिशियल अकाउंट हैक हो गया। यानी मामला ‘नैतिकता’ का कम और ‘नियंत्रण’ का ज़्यादा है।
फॉलो नहीं कर सको, तो प्लेटफॉर्म ही ब्लॉक कर दो – वाह लोकतंत्र!
एक्स बैन और एक्सक्यूज़ की राजनीति
जब किसी सरकार को सोशल मीडिया की आज़ादी से डर लगने लगे, तो अक्सर बहाने दो तरह के होते हैं – ‘सुरक्षा’ और ‘संस्कृति’।
तंज़ानिया ने दोनों को एकसाथ मिलाकर एक परफेक्ट डिजिटल सेंसरशिप की रेसिपी तैयार कर दी।
बैन के दौर में VPN की जय हो!
सरकार चाहे जितना भी “X” को ब्लॉक करे, मगर जनता अब भी VPN लगाकर ट्वीट कर रही है। सोशल मीडिया की दुनिया में बैन एक दरवाज़ा बंद करता है, लेकिन ‘IP’ कई खिड़कियाँ खोल देता है।
‘संस्कृति’ की आड़ में क्या ‘सेंसरशिप’ हो रही है?
तंज़ानिया का एक्स बैन चाहे पोर्न पर रोक के नाम पर किया गया हो, लेकिन समय और राजनीतिक हालात कुछ और कहानी कह रहे हैं।
अब ये जनता तय करेगी कि उन्हें ‘संस्कृति की सेवा’ चाहिए या ‘सूचना की स्वतंत्रता’।